दोस्तों आज हम आपको ताजमहल से जुड़े कुछ ऐसे रोचक तथ्य के बारे में बताने जा रहे है, जोकि शायद आपने नहीं सुने होंगे,
ताजमहल भारत के आगरा शहर में है, ताजमहल मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में बनवाया था, ताजमहल को देखने दुनिया भर के लाखों पर्यटक भारत आते हैं, ताजमहल रात की चांदनी में और ज्यादा खूबसूरत और अलग रंग का दिखता है |
(1). ताजमहल का निर्माण मुमताज की याद में किया गया था, मुमताज की मृत्यु 17 जून 1631 में 14वीं संतान गौहर बेगम को जन्म देते समय हो गई थी |
(2). 1631 में ताजमहल बनाने की शाहजहां ने घोषणा की थी लेकिन ताजमहल का निर्माण 1632 से शुरू हो पाया था |
(3). दोस्तों कहां जाता है कि ताजमहल को बनाने में कुल लागत 3 करोड़ 20लाख आई थी, इस लागत को आज वर्तमान में तुलना की जाए तो इसकी लगभग कुल लागत 53 अरब रुपए बैठती है |
(4). पहले के मुगलों के जितने भी स्मारक है वो लाल पत्थरों से बने होते थे लेकिन ताजमहल ही एक दुनिया में ऐसा मकबरा है जो सफेद संगमरमर से बनाया गया था |
(5). दोस्तों ताजमहल का निर्माण 20000 मजदूरों ने किया था, पर यह सब काम उस्ताद अहमद लाहौरी के देखरेख में हुआ था
| ताजमहल का काम लगातार बिना रुके चलता रहता, और ताजमहल लगभग 20 साल में पूरा बन पाया था |
(6). दोस्तों ताजमहल को दूसरे विश्व युद्ध के दौरान और 1971 में भारत और पाकिस्तान के युद्ध के दौरान और मुंबई के 9-11 हमले के दौरान चारों ओर से बांस का घेरा बनाकर ताजमहल को एक हरे कपड़े रंग से ढक दिया जाता था, ताकि दुश्मन की नजर ताजमहल पर ना पड़े |
(7). जब ताजमहल का निर्माण हो रहा था उस समय शाहजहां ने ताजमहल के शिखर पर एक सोने का कलश लगवाया था, यह सोने का कलश की लम्बाई 30 फीट 6 इंच थी, कलश का बज़न लगभग 40 हज़ार तोला सोना था |
(8). ताजमहल एक विशेष प्रकार की लकड़ियों पर खड़ा हुआ है, यह एक ऐसी लकड़ी है जो नमी में मजबूत रहती है, यह लकड़ी ताजमहल की बाई और जो यमुना नदी बहती है उससे इसको नमी मिलती रहती है |
(9). दोस्तों ताजमहल को बनाने के लिए 28 तरीके के पत्थरों का उपयोग किया गया था यह पत्थर बगदाद, अफगानिस्तान,तिब्बत,मिश्र,रूस,ईरान आदि कई देशों के अलावा राजस्थान से भी मंगाए गए थे, इन पत्थर के कमाल के वजह से ही आज हमारा ताजमहल सुबह के समय गुलाबी रंग का, दिन में सफेद रंग का और पूर्णिमा की रात को सुनहरा रंग का नजर आता है |
(10). ताजमहल की सबसे महत्वपूर्ण एवं अनोखी बात, शाहजहां और मुमताज की जो असली कब्र है, वो 10 साल में सिर्फ 3 दिन ही खोली जाती है, मतलब साल में सिर्फ 3 दिन ही इन दोनों कब्रों को देखने का मौका मिलता है, यह कब्र शाहजहां के उर्स के मौके पर खोली जाती है |
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